सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥ धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
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कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
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अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
भक्त अपने जीवन में पैदा हुई कठिनाइयों और बाधाओं को दूर करने के लिए श्री शिव चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। श्री शिव चालीसा के पाठ से आप अपने दुखों को दूर कर भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। शिव चालीसा का पाठ हमेशा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद करना चाहिए। भक्त प्रायः सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, त्रयोदशी व्रत एवं सावन के पवित्र महीने के दौरान शिव चालीस का पाठ खूब करते हैं।
कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।
लिङ्गाष्टकम्
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